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Jagdeep Dhankhar Resign: उपराष्ट्रपति के इस्तीफे से सियासी हलचल, केंद्र और राज्यों में मंथन शुरू

नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके इस कदम से ना सिर्फ सत्ता पक्ष , बल्कि विपक्ष ने भी इसे एक नए हमले के मौके के तौर पर देखा है।

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे वक्त आया है जब संसद का सत्र चल रहा है। इससे सरकार के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है क्योंकि अब राज्यसभा के सभापति का पद खाली हो गया है। बता दें कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और संसद में कई अहम बिलों को पास कराने में उनकी भूमिका बेहद अहम होती है।

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विपक्ष को मिला नया मुद्दा, सरकार बैकफुट पर

धनखड़ के इस्तीफे से जहां विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका मिल गया है, वहीं केंद्र सरकार को अब इस सवाल का जवाब देना होगा कि उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद की जिम्मेदारी अब किसे सौंपी जाए।

राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में उपराष्ट्रपति का रोल संसद के सुचारू संचालन में और भी जरूरी हो जाता है।


बीजेपी में संगठनात्मक फेरबदल की चर्चा तेज

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) संगठन में भी हलचल देखी जा रही है। मौजूदा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे अभी सेवा विस्तार पर बने हुए हैं। हालांकि, अब तक पार्टी का नया अध्यक्ष तय नहीं हुआ है।

दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव भी लंबित हैं। इससे पार्टी संगठन में संतुलन साधने की चुनौती और बढ़ गई है।


यूपी में बड़े बदलाव के संकेत

पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि यूपी सरकार में भी मंत्रिमंडल विस्तार या संगठनात्मक बदलाव संभव हैं।

योगी के अलावा डिप्टी सीएम की भी केंद्रीय नेतृत्व से बैठकें हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्य संगठन और मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव कर सकती है।


दक्षिण भारत को लेकर भी सक्रिय है पार्टी

बीजेपी लंबे समय से दक्षिण भारत में अपने विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है। इस बीच चर्चा है कि उपराष्ट्रपति पद को दक्षिण भारतीय चेहरे को देकर वहां राजनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश की जा सकती है।

वहीं, पार्टी अध्यक्ष पद उत्तर भारत से किसी नेता को दिया जा सकता है ताकि बीजेपी अपने पारंपरिक गढ़ में पकड़ बनाए रखे।


अब आगे क्या?

धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुए उपराष्ट्रपति पद को लेकर जल्द ही राजनीतिक हलचल तेज होने की उम्मीद है। किसे यह संवैधानिक पद मिलेगा, यह देखना बाकी है, लेकिन इतना तय है कि इसके जरिए केंद्र सरकार और बीजेपी संगठन एक साथ कई राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश करेगी।

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